Saturday, 27 April 2013

ऑपरेिटंग सटम


ऑपरेिटंगसटम ऑपरेिटंगसटमयवथतपसे जमे हएसाटवेयरकासमूहहै जोिकआंकडोएवं िनदशके संचरणकोिनयंितकरताहै ऑपरेिटंगसटमकआवयकता आपरेिटंग सटमहाडवेयर एवंसाटवेयर के िबच सेतु काकाय करता है कपयुटरका अपने आपमे कोई अतवनही है । यङ केवल हाडवेयरजैसे क-बोड, मािनटर , सी.पी.यू इयािद कासमूह है आपरेिटंगसटम समत हाडवेयरके िबचसबंधथािपतकरता है आपरेिटंगसटमके कारणहीयोगकता कोकयुटरके िविभ भागोकजानकारीरखने कजरतनहीपडती है साथही योगकता अपने सभीकाय तनावरिहतहोकरकर सकताहै यहसटमके साधनोकोबॅाटताएवं यवथतकरताहै। आपरेिटंग सटमके कईअय उपयोगीिवभाग होते है जनके सुपुद कईकाम केय ोसेसरारा िकएजाते है । उदाहरणके लएििटंग का कोईिकया जाताहै तोकेय ोसेसरआवयक आदेशदेकर वहकाय आपरेिटंग सटमपरछोडदेता है । औरवहवयं अगलाकाय करने लगताहै । इसके अितरफाइल कोपुनःनामदेना, डायरेटरी किवषयसूिचबदलना, डायरेटरीबदलना आिदकाय आपरेिटंगसटमके ारािकए जाते है । इसके अतगतिननकाय आते है 1) फाइलपित फाइलबनाना, िमटानाएवं फाइलएकथानसे दूसरे थानले जाना। फाइलिनदिशकाकोयवथतकरना। 2) िया ोाम एवं आंकडो को मेमोरी मे बाटना । एवं ोसेस का ारंभ एवं समानयन करना । योगकता मयथ फाइल क ितलपी ,िनदिशका , इयािद के लए िनदश , रेखािचिय िडक टाप आिद 3) इनपुट/आउटपुट मॅािनटरिंटरिडकआिदके लएमयथ

मटी ोसेसंग और मटी टाकंग

मटीोसेसंगऔरमटीटाकंग मटीोसेसंग एकसमयमे एकसे अधककाय कोसंपािदतकरने के लएसटम परएकसे अधकसी.पी.यू रहते है । इसतकनीककोमटीोसेसंग कहते है । मटीोसेसंगसटमकािनमाणमटीोसेसरसटम कोयानमे रखते हएिकयागयाहै । एकसे अधकोसेसरउपधहोने के कारणइनपुटआउटपुटएवं ोसेसगतीनोकायके मयसमवयरहताहै । एकहीतरहके एक से अधकसी.पी. यू काउपयोगकरने वाले सटमकोसिमिटक मटीोसेसरसटमकहाजाताहै । मटीटाकंग मेमोरीमे रखे एकसे अधकियाओमे परपरिनयंणमटी टाकंगकहलाताहै . िकसीोामसे िनयणहटाने से पहले उसकपूव दशासुरितकरलीजातीहै जबिनयंणइसोामपर आताहै ोामअपनीपूव अवथामे रहताहै । मटीटाकंगमे यूजरकोऐसािततहोताहै िकसभीकाय एकसाथचलरहे ह

कम्पाइलर और इन्टरप्रिटर


कम्पाइलर और इन्टरप्रिटर 



कम्पाइलर
कम्पाइलर किसी कम्प्यूटर के सिस्टम साफ्टवेयर का भाग होता है । कम्पाइलर एक ऐसा  प्रोग्राम है, जो किसी उच्चस्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम का अनुवाद किसी कम्प्यूटर की मशीनी भाषा में कर देता है । निम्न चित्र में इस कार्य को दिखाया गया है ।
उच्चस्तरीय भाषा प्रोग्राम –> कम्पाइलर –> मशीनी भाषा प्रोग्राम
हर प्रोग्रामिंग भाषा के लिए अलग-अलग कम्पाइलर होता है पहले वह हमारे प्रोग्राम के हर कथन या आदेश की जांच करता है कि वह उस प्रोग्रामिंग भाषा के व्याकरण के अनुसार सही है या नहीं ।यदि प्रोग्राम में व्याकरण की कोई गलती नहीं होती, तो कम्पाइलर के काम का दूसरा भाग शुरू होता है ।यदि कोई गलती पाई जाती है, तो वह बता देता है कि किस कथन में क्या गलती है । यदि प्रोग्राम में कोई बड़ी गलती पाई जाती है, तो कम्पाइलर वहीं रूक जाता है । तब हम प्रोग्राम की गलतियाँ ठीक करके उसे फिर से कम्पाइलर को देते हैं ।
इन्टरप्रिटर 
इन्टरपेटर भी कम्पाइलर की भांति कार्य करता है । अन्तर यह है कि कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम को एक साथ मशीनी भाषा में बदल देता है और इन्टरपेटर प्रोग्राम की एक-एक लाइन को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है । प्रोग्राम लिखने से पहले ही इन्टरपेटर को स्मृति में लोड कर दिया जाता है । 

कम्पाइलर और इन्टरप्रिटर में अन्तर
इन्टरपेटर उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम की प्रत्येक लाइन के कम्प्यूटर में प्रविष्ट होते ही उसे मशीनी भाषा में परिवर्तित कर लेता है, जबकि कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम के प्रविष्ट होने के पश्चात उसे मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है ।

Thursday, 25 April 2013

मैमोरी युक्तियॉ (Memory Device)


मैमोरी युक्तियॉ

प्राथमिक संग्रहण 

यह वह युक्तियाँ होती हैं जिसमें डेटा व प्रोग्राम्स तत्काल प्राप्त एवं संग्रह किए जाते हैं ।
1.रीड-राइट मेमोरी,रैम(RAM) 
Random access memory – कंप्यूटर की यह सबसे महवपूर्ण मेमोरी होती है. इस मेमोरी में प्रयोगकर्ता अपने प्रोग्राम को कुछ देर के लिए स्टोर कर सकते हैं । साधारण भाषा में इस मेमोरी को RAM कहते हैं । यही कम्प्यूटर की बेसिक मेमोरी भी कहलाती है । यह निम्नलिखित दो प्रकार की होती है –
डायनेमिक रैम (DRAM)
डायनेमिक का अर्थ है गतिशील । इस RAM पर यदि 10 आंकड़े संचित कर दिए जाएं और फिर उनमें से बीच के दो आंकड़े मिटा दिए जाएं, तो उसके बाद वाले बचे सभी आंकड़े बीच के रिक्त स्थान में स्वतः चले जाते हैं और बीच के रिक्त  स्थान का उपयोग हो जाता है ।
स्टैटिक रैम (SRAM)
स्टैटिक रैम में संचित किए गए आंकड़े स्थित रहते हैं । इस RAM में बीच के दो आंकड़े मिटा दिए जाएं तो इस खाली स्थान पर आगे वाले आंकड़े खिसक कर नहीं आएंगे । फलस्वरूप यह स्थान तब तक प्रयोग नहीं किया जा सकता जब तक कि पूरी मेमोरी को “वाश” करके नए सिरे से काम शुरू न किया जाए ।
2.रीड ओनली मेमोरी (Read Only Memory)
आधुनिक कंप्यूटर की महत्वपूर्ण मेमोरी ROM  उसे कहते हैं, जिसमें लिखे हुए प्रोग्राम के आउटपुट को केवल पढ़ा जा सकता है, परन्तु उसमें अपना प्रोग्राम संचित नहीं किया जा सकता । बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम ( BIOS) नाम का एक प्रोग्राम ROM का उदाहरण है, जो कम्प्यूटर के ऑन होने पर उसकी सभी इनपुट आउटपुट युक्तियों की जांच करने एवं नियंत्रित करने का काम करता है ।
प्रोग्रामेबिल रॉम (PROM)
इस स्मृति में किसी प्रोग्राम को केवल एक बार संचित किया जा सकता है, परंतु न तो उसे मिटाया जा सकता है और न ही उसे संशोधित किया जा सकता है ।

इरेजेबिल प्रॉम (EPROM)
इस I.C. में संचित किया गया प्रोग्राम पराबैंगनी किरणों के माध्यम से मिटाया ही जा सकता है । फलस्वरुप यह I.C. दोबारा प्रयोग की जा सकती है ।इलेक्ट्रिकली-इ-प्रॉम (EEPROM)
इलेक्ट्रिकली इरेजेबिल प्रॉम पर स्टोर किये गये प्रोग्राम को मिटाने अथवा संशोधित करने के लिए किसी अन्य उपकरण की आवश्यकता नहीं होती । कमाण्ड्स दिये जाने पर कम्प्यूटर में उपलब्ध इलैक्ट्रिक सिगल्स ही इस प्रोग्राम को संशोधित कर देते हैं । 

हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर


अव्यावहारिक तौर पर अगर कंप्यूटर को परिभाषित किया जाये तो हम हार्डवेयर को मनुष्य का शरीर और सॉफ्टवेर को उसकी आत्मा कह सकते हैं. हार्डवेयर कंप्यूटर के हिस्सों को कहते हैं, जिन्हें हम अपनी आँखों से देख सकते हैं, छू सकते हैं अथवा औजारों से उनपर कार्य कर सकते हैं! ये वास्तविक पदार्थ है! इसके विपरीत सॉफ्टवेयर कोई पदार्थ नहीं है! ये वे सूचनाएं, आदेश अथवा तरीके हैं जिनके आधार पर कंप्यूटर का हार्डवेयर कार्य करता है! कंप्यूटर हार्डवेयर सॉफ्टवेयर से परिचित होते हैं अथवा सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के हार्वेयर से परिचित एवं उनपर आधारित होते हैं!





हार्डवेयर का निर्माण कारखानों में होता है, जबकि सॉफ्टवेयर कंप्यूटर ज्ञाता के मस्तिष्क की सोच द्वारा बनाएं जाते हैं, जिनके आधार पर कल -कारखाने हार्डवेयर को उत्पादित करते हैं! सामन्य भाषा में कहा जाए तो सॉफ्टवेयर कंप्यूटर द्वारा स्वीकृत विनिर्देश होते हैं जिनके माध्यम से कंप्यूटर कार्य करते हैं! कंप्यूटर हार्डवेयरों के निर्माण में उच्च टेक्नोलोजी का इस्तेमाल किया जता है! इनका निर्माण कल -कारखानों में ही मशीनों व उपकरणों की सहायता से होता है! सॉफ्टवेयर कंप्यूटर सिद्धांतो के आधार पर हार्डवेयर के लिए आवश्यक निर्देश होते हैं, इन्हें तैयार करने के लिए किसी कारखाने की आवश्यकता नहीं होती! कोई भी व्यक्ति जो कंप्यूटर के मूल सिद्धांतो एवं कार्य प्रणाली से परिचित हो अपने मस्तिष्क के उपयोग से सॉफ्टवेयर तैयार कर सकता है

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Friday, 19 April 2013

rhemrahe nimnuk ange ni yojna na atyar sudhi na tmam paripatro

chalu nokri drmayan avasan pamnar karmchari na aashrit ne
rhemrahe nimnuk ange ni
yojna na atyar sudhi na tmam
paripatro

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School

School 1

CCC SHURTI SOFTWERE

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(1) Gujarati IME

(2) TBIL Convertor
 
   =>  Your pc ma intelling softwere and useing this soft

=> TBIL convertor ma koi pan file ne convert kae va mate . Koi pan language ma convart kar .

Useing Enjoy... . . . .

Tuesday, 16 April 2013

General short forms and full forms in Computer

Short Forms & Full Forms

Computer = Commonly Operated Machine Particularly Used in Technical and Educational Research

CPU = Central Processing Unit

RAM = Random Access Memory

ROM = Read Only Memory

PROM = Programmable Read Only Memory

EPROM = Erasable PROM

EEPROM = Electrically EPROM

HDD = Hard Disk Drive

FDD = Floppy Disk Drive

KBD = KeyBoard

I/O = Input & Output

CD = Compact Disk

DVD = Digital Video Disk

SMPS = Switch Mode Power Supply

POST = Power ON Self Test

BIOS = Basic Input Output System

VDU = Visible Display Unit

LED = Light Embedded Diode

LCD = Liquid Crystal Display

USB = Universal Serial Bus

VGA = Video/Visual Graphic Adapter

LAN = Local Area Network

WAN = Wide Area Network

MAN = Metropolitan Area Network

HLL = High Level Language

LLL = Low Level Language

MIPS = Million of Instruction Per Second

Mbps = Mega Bytes Per second

Kbps = Kilo Bytes per second

HTTP = Hyper Text Templates

WWW = World Wide Web

IP = Internet Protocol

ISP = Internet Service Provider

4 Bits = 1 Nibble

8 Bits = 1 Byte

1024 Bytes = 1 Kilo Byte ( KB )

1024 KB = 1 Mega Byte ( MB )

1024 MB = 1 Gyga Byte ( GB )

1024 GB = 1 Tera Byte ( TB )

1024 TB = 1 Peta Byte ( PB )

1024 PB = 1 Exa Byte ( EB )

1024 EB = 1 Zetta Byte ( ZB )

1024 ZB = 1 Yotta Byte ( YB )

SCHOOL IMP FILE (TIME LIMIT)

School na all file ni time limit niche mujab che.

FULL NAME

KNOW MORE
COMPUTER ABBREVIATIONS

AGP : Accellerated Graphics Port
ARPANET: Advanced Research Projects
AgencyNetwork
BIOS : Basic Input- Output System.
CAD : Computer Aided Design.
CD : Compact Disc.
CDAC : Centre for Development of Advanced
Parallel Computing.
CDMA : Code Division Multiple Access.
C-DOT : Center for Development of
Telematrics.
GAIS : Gateway Internet Access Service
HTTP : Hyper Text Transfer Protocol
ROM : Read Only Memory
RAM : Random Access Memory
MODEM : Modulation : Demodulation.
PSTN : Public Switched Public Data Network.
PSPDN : Pocket Switched Public.
RABAN : Remote Area Business Message
Network.
LAN : Local Area Network
WAN : Wide Area Network .
MAN : Metropolitan Area Network.
E-Mail : Electronic Mail.
LDU : Liquid Display Unit.
CPU : Central Processing Unit.
CAM : Computer Aided Manufacturing.
CATScan : Computerized Axial Tomography
Scan .
COBOL : Common Business Oriented
Language.
COMAL : Common Algorithmic Language.
DOS : Disk Operating System.
DTS : Desk Top System
DTP : Desk Top Publishing.
E-Commerce : Electronic Commerce.
ENIAC : Electronic Numerical Integrator And
Calculator
FAX : Far Away Xerox.
FLOPS : Floating Operations Per Second.
FORTRAN : Formula Translation.
HLL : High Level Language.
HTML : Hyper Text Markup Language.
IBM : International Business Machine.
IC : Integrated Circuit
ISH : International Super Highway.
LISP : List Processing.
LLL : Low Level Language
MICR : Magnetic Ink Character Recognizer.
MIPS : Millions of Instructions Per Second.
MOPS : Millions of Operations Per Second.
MPU : Micro Processor Unit.
NICNET : National Information Center
Network.
OMR : Optical Mark Reader.
PC-DOT : Personal Computer Disk Operation
System.
PROM : Programmable Read Only Memory.
SNOBOL : String Oriented Symbolic
Language.
UPS : Uninterpretable Power Supply.
VDU : Visual Display Unit.
VLSI : Very Large Scale Integrated.
WWW : World Wide Web.
WLAN : Wireless Local Area Network.
Wi-fi : Wireless Fidelity
TIFF : Tagged Image File Format
e-SATA : External Serial Advanced
Technology Attachment
WiMAX : Worldwide Interoperabilit y for
Microwave Access
JPEG : Joint Photographic Experts Group
GIF : Graphics Interchange Format
ATX : Advanced Technology Extended
UATX : Ultra Advanced TechnologyExten ded
FATX : Flex Advanced Technology Extended
MATX : Micro Advanced Technology Extended
EEATX : Enhanced Extended Advanced
Technology Extended
DDR SDRAM : Double-Data-Rat e
Synchronous Dynamic Random Access
Memory
DDR RAM : Double-Data-Rat e Random
Access Memory
GUI : Graphical User Interfaces
CUI : Command User Interfaces
NAT : Network Address Translation
BIOS:Basic Input/Output System
SCSI: Small Computer Systems Interface
OCR:Optical Character Recognition
PCI:Pperipheral Component Interface
PDA:Personal Digital Assistant
MIDI:Musical Instrument Digital Interface
BPS:Bites Per Second
KBPS:KiloBits Per Second
MPEG:Motion Picture Experts Group
JPEG:Joint Photographic Expert Group
LCD:Liquid Crystal Display
MAC:Media Access Control

कम्प्यूटर की मूल इकाईयॉं


मूल इकाईयॉं

कंप्यूटर की मूल इकाइयों का मतलब कंप्यूटर की उन बातों से है जिनसे कंप्यूटर की गणनाओं का काम प्रारंभ होता है.
बिट 
बिट अर्थात Binary digT, कम्प्यूटर की स्मृति की सबसे छोटी इकाई है । यह स्मृति में एक बायनरी अंक 0 अथवा 1 को संचित किया जाना प्रदर्शित करता है । यह बाइनरी डिजिट का छोटा रूप है. यहाँ एक सवाल उठता हैं की बिट ० और १ ही क्यू होता है ३-४ क्यू नहीं ? तो इसका जवाब दो तरह से आता हैं,
- चूकी गणितीय गणना के लिये विज्ञानियों को ऐसा अंक चाहीये था जो किसी भी तरह के गणना को आगे बढ़ाने या घटाने पर गणितीय उतर पर असर न डाले तो केवल ० एक मात्र एसी संख्या हैं जिसे किसी भी अंक के साथ जोड़ने या घटाने पर कोई फर्क नहीं पड़ता और १ एक मात्र ऐसी संख्या हैं जिसे किसी अंक के साथ गुणा या भाग देने पर कोई फर्क नहीं पड़ता.
-दूसरी तरफ इलेक्ट्रॉनिकस में हम जानते हैं की ० और १ क्रमशः ऑन और ऑफ को दिखलाता हैं. कंप्यूटर भी इलेक्ट्रॉनि सिग्नल को ही पहचानता हैं इस कारण ० और १ का उपयोग किया जाता हैं.

बाइट 
यह कम्प्यूटर की स्मृति (memory) की मानक इकाई है । कम्प्यूटर की स्मृति में की-बोर्ड से दबाया गया प्रत्येक अक्षर, अंक अथवा विशेष चिह्न ASCII Code में संचित होते हैं । प्रत्येक ASCII Code 8 byte का होता है । इस प्रकार किसी भी अक्षर को स्मृति में संचित करने के लिए 8 बिट मिलकर 1 बाइट बनती है ।
कैरेक्टर 
संख्यांको के अलावा वह संकेत है जो भाषा और अर्थ बताने के काम आते है । उदाहरण के लिए हम देखे
a b c d e f g h i j k l m n o p q r s t u v w x y z A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z 0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 ! @ # $ % ^ & * ( ) _ – = + | \ ` , . / ; ‘ [ ] { } : ” < > ?
कम्प्यूटर सिस्टम सामान्यतः कैरेक्टर को संचित करने के लिए ASCII कोड का उपयोग करते हैं । प्रत्येक कैरेक्टर 8 बिटस का उपयोग करके संचित होता है ।

कम्प्यूटर अपना काम कैसे करता है ?


कम्प्यूटर अपना काम कैसे करता है ?             


1.इनपुट के साधन जैसे की-बोर्ड, माउस, स्कैनर आदि के द्वारा हम अपने निर्देश,प्रोग्राम तथा इनपुट डाटा प्रोसेसर को भेजते हैं ।
2.प्रोसेसर हमारे निर्देश तथा प्रोग्राम का पालन करके कार्य सम्पन्न करता है ।
3.भविष्य के प्रयोग के लिए सूचनाओं को संग्रह के माध्यमों जैसे हार्ड डिस्क, फ्लापी डिस्क आदि पर एकत्र किया जा सकता है ।
4.प्रोग्राम का पालन हो जाने पर आउटपुट को स्क्रीन, प्रिंटर आदि साधनों पर भेज दिया जाता है ।

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट – सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट को हिन्दी में केन्द्रीय विश्लेषक इकाई भी कहा जाता है । इसके नाम से ही स्पष्ट है, यह कम्प्यूटर का वह भाग है, जहां पर कम्प्यूटर प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है ।  सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सी.पी.यू.) को पुनः तीन भागों में बांटा जा सकता है
1. कन्ट्रोल यूनिट
2. ए.एल.यू.
3. स्मृति

कन्ट्रोल यूनिट 
कन्ट्रोल यूनिट का कार्य कम्प्यूटर की इनपुट एवं आउटपुट युक्तियों को नियन्त्रण में रखना है । कन्ट्रोल यूनिट के मुख्य कार्य है –
1. सर्वप्रथम इनपुट युक्तियों की सहायता से सूचना/डेटा को कन्ट्रोलर तक लाना ।
2. कन्ट्रोलर द्वारा सूचना/डेटा को स्मृति में उचित स्थान प्रदान करना ।
3. स्मृति से सूचना/डेटा को पुनः कन्ट्रोलर में लाना एवं इन्हें ए.एल.यू. में भेजना ।
4. ए.एल.यू.से प्राप्त परिणामों को आउटपुट युक्तियों पर भेजना एवं स्मृति में उचित स्थान प्रदान करना ।
ए.एल.यू.
कम्प्यूटर की वह इकाई जहां सभी प्रकार की गणनाएं की जा सकती है, अर्थमेटिक एण्ड लॉजिकल यूनिट कहलाती है ।
स्मृति 
किसी भी निर्देश, सूचना अथवा परिणाम को संचित करके रखना ही स्मृति कहलाता है । कम्प्यूटर के सी.पी.यू. में होने वाली समस्त क्रियायें सर्वप्रथम स्मृति में जाती है । तकनीकी रूप में मेमोरी कम्प्यूटर का कार्यकारी संग्रह है । मेमोरी कम्प्यूटर का अत्यधिक महत्वपूर्ण भाग है जहां डाटा, सूचना और प्रोग्राम प्रक्रिया के दौरान स्थित रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर तत्काल उपलब्ध होते हैं ।
इनपुट युक्ति
आमतौर पर की-बोर्ड एवं माउस है । इनपुट युक्ति एक नली के समान है जिसके द्वारा आँकडे एवं निर्देश कम्प्यूटर में प्रवेश करते है ।
आउटपुट युक्ति
मुख्य रूप से स्क्रीन एवं प्रिंटर इसका उदाहरण है । इसके अलावा वे सभी युक्ति जो आपको बताए की कम्प्यूटर ने क्या संपादित किया है आउटपुट युक्ति कहलाती है ।
संचित युक्ति
यह कम्प्यूटर मे स्थायी तौर पर बहुत अधिक मात्रा मे आंकडो को संचित करने की अनुमती प्रदान करता है । उदाहरण डिस्क ड्राइव, टेप ड्राइव ।

पर्सनल कम्प्यूटर

पर्सनल कम्प्यूटर

पर्सनल कम्प्यूटर माइक्रो कम्प्यूटर समानार्थक से जाने वाले वैसे कम्प्यूटर प्रणाली है जो विशेष रूप से व्यक्तिगत अथवा छोटे समूह के द्वारा प्रयोग मे लाए जाते हैं। इन कम्प्यूटरों को बनाने में माइक्रोप्रोसेसर मुख्य रूप से सहायक होते है । पर्सनल कम्प्यूटर निर्माण विशेष क्षेत्र तथा कार्य को ध्यान में रखकर किया जाता है। उदाहरणार्थ- घरेलू कम्प्यूटर तथा कार्यालय में प्रयोगकिये जाने वाले कम्प्यूटर। बजारमें, छोटे स्तर की कम्पनियों अपने कार्यालयों के कार्य के लिए पर्सनल कम्प्यूटर को प्राथमिकता देते हैं।
पर्सनल कम्प्यूटर के मुख्य कार्यो में क्रीड़ा-खेलना, इन्टरनेट का प्रयोग , शब्द-प्रक्रिया इत्यादि शामिल हैं। पर्सनल कम्प्यूटर के कुछ व्यवसायिक कार्य निम्नलिखित हैं-


1. कम्प्यूटर सहायक रूपरेखा तथा निर्माण
2. इन्वेन्ट्री तथा प्रोडक्शन कन्ट्रोल
3. स्प्रेडशीट कार्य
4. अकाउन्टिंग
5. सॉफ्टवेयर निर्माण
6. वेबसाइट डिजाइनिंग तथा निर्माण
7. सांख्यिकी गणना

पर्सनल कम्प्यूटर का मुख्य भाग
माइक्रोप्रोसेसर वह चीप होती जीस पर कंट्रोल यूनिट और ए. एल. यू. एक परिपथ होता है। माइक्रोप्रोसेसर चिप तथा अन्य डिवाइस एक इकाई में लगे रहते है, जिसे सिस्टम यूनिट कहते है। पी,सी. में एक सिस्टम यूनिट, एक मनिटर या स्क्रीन एक की बोर्ड एक माउस और अन्य आवश्यक डिवाइसेज, जैसे प्रिंटर, मॉडेम, स्पीकर, स्कैनर, प्लॉटर , ग्राफिक टेबलेट , लाइच पेन आदि होते हैं।
पर्सनल कम्प्यूटर का मूल सिद्धान्त 
पी.सी एक प्रणाली है जिसमें डाटा और निर्देशों को इनपुट डिवाइस के माध्यम से स्वीकार किया जाता है। इस इनपुट किये गये डाटा व निर्देशों को आगे सिस्टम यूनिट में पहुँचाया जाता है, जहाँ निर्देशों के अनुसार सी. पी. यू. डाटा पर क्रिया या प्रोसेसिंग का कार्य करता है और परिचय को आउटपुट यूनिट मॉनीटर या स्क्रीन पर भेज देता है। यह प्राप्त परिणाम आउटपुट कहलाता है। पी. सी में इनपुट यूनिट में प्रायः की-बोर्ड और माउस काम आते है जबकि आउटपुट यूनिट के रूप में मॉनिटर और प्रिटर काम आते हैं।

कम्पयूटर से परिचय


कम्पयूटर से परिचय

सम्पूर्ण विश्व मे शायद ही कोई इंसान बचा होगा जो इस शब्द से अभी तक अनजान होगा.
कम्प्यूटर एक इलैक्ट्रोनिक डिवाइस है । जो इनपुट के माध्यम से आंकडो को ग्रहण करता है उन्हे प्रोसेस करता है एवं सूचनाओ को निर्धारित स्थान पर स्टोर करता है ! कम्पयूटर एक क्रमादेश्य मशीन है । कम्पयूटर की निम्नलिखित विशेषताएँ है ।
1)कम्पयूटर विशिष्ठ निर्देशो को सुपरिभाषित ढंग से प्रतिवाधित करता है ।
2)यह पहले संचित निर्देशो को क्रियान्वित करता है ।
वर्तमान के कम्पयूटर इलेक्ट्रानिक और डिजिटल है । इनमे मुख्य रूप से तार ट्रांजिस्टर एवं सर्किट का उपयोग किया जाता है । जिसे हार्डवेयर कहा जाता है । निर्देश एवं डेटा को साफ्टवेयर कहा जाता है । कम्प्यूटर अपने काम-काज, प्रयोजन या उद्देश्य तथा रूप-आकार के आधार पर विभिन्न प्रकार के होते हैं। वस्तुतः इनका सीधे-सीधे अर्थात प्रत्यक्षतः (Direct) वर्गीकरण करना कठिन है, इसलिए इन्हें हम निम्नलिखित तीन आधारों पर वर्गीकृत करते हैं :

1. अनुप्रयोग (Application )
2. उद्देश्य (Purpose )
3. आकार (Size)

1. अनुप्रयोग के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार 
.यद्यपि कम्प्यूटर के अनेक अनुप्रयोग हैं जिनमे से तीन अनुप्रयोगों के आधार पर कम्प्यूटरों के तीन प्रकार होते हैं :

(a) एनालॉग कम्प्यूटर
(b ) डिजिटल कम्प्यूटर
(c) हाईब्रिड कम्प्यूटर



2. उद्देश्य के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार

कम्प्यूटर को दो उद्देश्यों के लिए हम स्थापित कर सकते हैं- सामान्य और विशिष्ट , इस प्रकार कम्प्यूटर उद्देश्य के आधार पर निम्न दो प्रकार के होते हैं :
(a ) सामान्य-उद्देशीय कम्प्यूटर
(b ) विशिष्ट -उद्देशीय कम्प्यूटर 
3. आकार के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार
आकार के आधार पर हम कम्प्यूटरों को निम्न श्रेणियाँ प्रदान कर सकते हैं –
1. माइक्रो कम्प्यूटर
2. वर्कस्टेशन
3. मिनी कम्प्यूटर
4. मेनफ्रेम कम्प्यूटर
5. सुपर कम्प्यूटर

बनाइये फोल्डर बिना किसी नाम का


नाम के बिना फोल्डर बनाने के लिए निचे दी गयी ट्रिक को आजमाइए :






१.  सबसे पहले "राईट क्लिक" करे 

२.  "न्यू फोल्डर" बनाइये 

३.  फिर " Rename" करके " New Folder " को back space से हटा दीजिये. 

४.  उसके बाद "Alt + 0160" दबाके Enter कीजिये. 

अब बन गया फोल्डर बिना किस नाम का .

फ्री में डाउनलोड करे बढ़िया एंटी वाइरस सॉफ्टवेर



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AVG का ये एंटी वाइरस सॉफ्टवेर वाकेई बहुत बढ़िया काम करता है. इस सॉफ्टवेर में बहुत सारी खुबिया मौजूद है. ये आपकी सिस्टम को पूरी तरह से वाइरस से बचाता है. किसी भी वाइरस वाली फाइल और फोल्डर को ओपन करते ही ये ओटोमेटिक वाइरस को पकड़ लेता है. ये सॉफ्टवेर ईमेल को भी स्केन करता है. ओटोमेटिक अपडेट होता है. यूज करने में एकदम आसान है. बहुत से लोग इसे सालो से यूज़ करते है. आप भी यूज़ करके देखो. आप इसको निचे दी गयी लिंक से फ्री में लेटेस्ट वर्ज़न डाउनलोड कर सकते हो.

अपने फोल्डर को बनाइये रंगीन और खुबसूरत



आपके विंडोस में पीले रंग के आइकोन को रंगीन बनाने के लिए :  आप जिस फोल्डर का आइकोन बदलना चाहते हो उसके उपर " राईट क्लिक " कीजिये, उसके बाद " Properties " में जाइये फिर "customize" पे क्लिक करे. फिर " Change Icon " को क्लिक करे. उसमे आपको बहुत सारे आइकोन दिखाई देंगे. उनमे से आपको जो पसंद है उसे सिलेक्ट करे और ओके कर करके "apply " कर दीजिये. अब आपका पिला आइकोन आपके सिलेक्ट किये हुए में बदल गया होगा. इसी तरह से आप अपने सभी आइकोन को बदल सकते हो. 

गूगल क्रोम के फेवरिट और उपयोगी एक्सटेन्सन






गूगल क्रोम के  एक्सटेन्सन का उपयोग करके ब्राउजर को सरलता से उपयोग किया जा सकता है, जिससे आप अपना समय बचा सकते है. गूगल क्रोम के एक्सटेन्सन को सर्च करने के लिए उसीकी वेबसाइट है जिसे क्रोम वेब स्टोर  https://chrome.google.com/webstore  कहते है वहां कीवर्ड द्वारा अलग अलग एक्सटेन्सन सर्च करके इंस्टोल कर सकते है. 

अपने इन्टरनेट की स्पीड बढाइये

आज ज्यादा से ज्यादा लोग इन्टरनेट का उपयोग कर रहे है. इन्टरनेट कनेक्शन के द्वारा लोग इन्टरनेट सर्फिंग का मज़ा लेते है किन्तु इन्टरनेट कनेक्शन की स्पीड कम होने के कारण सर्फिंग करने में मजा नहीं आता. अगर, आपके इन्टरनेट की भी स्पीड कम है और बढानी है तो निचे दी गयी ट्रिक को आजमाए: 
१. Start > Run में जाके " gpedit.msc " टाइप करो और इंटर का बटन दबाओ.
 २. इसके बाद Group Policy की विंडो ओपन होगी.
 ३. इस विंडो में दायी साइड Computer configuration > Administrative Temples > Network > Qos Packet Schedule पे क्लिक करो.



४. इसके  बाद बायीं साइड पे एक लिस्ट ओपन होगी उसमे Limit Reversable Bandwidth पे डबल क्लिक करो.


५. उसके बाद एक बॉक्स ओपन होगा  उसमे Enable के बॉक्स पे टिक करो.

६. फिर निचे bandwidth limit (%) का बॉक्स ओपन होगा उसको घटाकर 0% कर दो ( अगर शून्य ही होगा तो फर्क नहीं पड़ेगा )


७. अब apply प्रेस करो और ओके कर दो.

बस, इतना करने के बाद आपके इन्टरनेट की स्पीड में बढौती होगी. हो सके तो एकबार अपने कंप्यूटर को रिस्टार्ट कर के भी चेक कर लो.








Monday, 15 April 2013

ऑनलाइन खतरों से सुरक्षा

Samsung Mobile : Secret Codes List

Samsung Mobile : Secret Codes List

*#9125# : Smiley
*#9999# : Software Version *#06# : IMEI Number
*#0001# : Serial Number *#9998*523# : LCD Contrast *#0228# or *#8999*228# : Battery Info
*#8999*636# : Display Storage Capacity
*#8999*778# : Display SIM Card Information
*#8999*782# : Show Date And Alarm Clock
*#8999*786# : The Display During Warning
*#8999*837# : Samsung Hardware Version
*#0523# - *#8999*523# : Display Contrast
*#8999*638# : Show Network Information
*#9998*246# : Battery Status- Memory Capacity
*#9998*324# - *#8999*324# : Debug Screen
*#9998*842# - *#8999*842# : Vibration Test
*#9998*289# - *#8999*289# : Alarm Beeper -Ringtone Test
*#8999*9266# : Display Received Channel Number And Received Intensity

*#8999*364# : Watchdog ON/OFF *#8999*427# : WATCHDOG Signal Route Setup
*2767*3855# : Full Reset (Caution every stored data will be deleted.) *2767*2878# : Custom Reset *2767*927# : Wap Reset *2767*226372# : Camera Reset (deletes photos)
*2767*688# : Reset Mobile TV #7263867# : RAM Dump (On or Off)
#*4773# : Incremental Redundancy
#*7785# : Reset wake-up & RTK Timer Variables
#*7200# : Tone Generator Mute

#*3888# : BLUETOOTH Test Mode #*7828# : Task Screen
#*2562# : Restarts Phone #*2565# : No Blocking? General Defense.
#*3353# : General Defense, Code Erased.
#*3837# : Phone Hangs on White screen.
#*3849# : Restarts Phone #*7337# : Restarts Phone (Resets Wap Settings)
#*2886# : Auto Answer ON/OFF #*7288# : GPRS Detached/Attached
#*7287# : GPRS Attached #*2077# : GPRS Switch

#*22671# : AMR REC START #*22673# : Pause REC
#*22674# : Resume REC #*22675# : AMR Playback #*22676# : AMR Stop Play #*22677# : Pause Play
#*22678# : Resume Play #*77261# : PCM Rec Req #*77262# : Stop PCM Rec #*77263# : PCM Playback #*77264# : PCM Stop Play #*22679# : AMR Get Time #*7666# : White Screen

#*7693# : Sleep Deactivate/Activate
#*2286# : Data Battery
#*2679# : Copycat Feature Active/Deactivate
#*3940# : External Loop-Test 9600 bps
#*4263# : Hands Free Mode Activate/Deactivate
#*2558# : Time ON
#*3941# : External Loop-Test 115200 bps
#*5176# : L1 Sleep
#*7462# : SIM Phase
#*7983# : Voltage/Freq
#*7986# : Voltage
#*8466# : Old Time
#*2255# : Call Failed

#*5376# : Delete All Sms!!!! #*2337# : Permanent Registration Beep
#*2474# : Charging Duration #*2834# : Audio Path (Hands-free)
#*3270# : DCS Support Activate/Deactivate
#*3282# : Data Activate/Deactivate
#*3476# : EGSM Activate/Deactivate
#*3676# : Format Flash Volume!!! #*4760# : GSM Activate/Deactivate
#*4864# : White Screen
#*7326# : Accessory
#*7683# : Sleep Variable
#*3797# : Blinks 3D030300 In RED
#*7372# : Resetting The Time To DPB Variables

*#8999*667# : Debug Mode *#92782# : Phone Model (Wap) #*5737425# : JAVA Mode *#2255# : Call List
*#232337# : Bluetooth MAC Address
*#5282837# : Java Version *#8999*8376263# : All Versions Together
*#8999*8378# : Test Menu *#4777*8665# : GPSR Tool *#8999*523# : LCD Brightness *#8999*377# : Error LOG Menu *#8999*327# : EEP Menu

*7465625*228# : Active Lock ON #7465625*228# : Active Lock OFF *7465625*28638# : Auto Network Lock ON
#7465625*28638# : Auto Network Lock OFF
*7465625*28782# : Auto Subset Lock ON
#7465625*28782# : Auto Subset Lock OFF
*7465625*2877# : Auto SP Lock ON
#7465625*2877# : Auto SP Lock OFF
*7465625*2827# : Auto CP Lock ON
#7465625*2827# : Auto CP Lock OFF
*7465625*28746# : Auto SIM Lock ON
#7465625*28746# : Auto SIM Lock OFF

*#7465625# : Check the phone lock status
*7465625*638*Code# : Enables Network lock #7465625*638*Code# : Disables Network lock *7465625*782*Code# : Enables Subset lock #7465625*782*Code# : Disables Subset lock
*7465625*77*Code# : Enables SP lock
#7465625*77*Code# : Disables SP lock
*7465625*27*Code# : Enables CP lock
#7465625*27*Code# : Disables CP lock
*7465625*746*Code# : Enables SIM lock
#7465625*746*Code# : Disables SIM lock

How to install xp from pen drive usb drive step by step guide

In this article we would prepare pen
drive as a window XP installation
media. Once we prepared this pen
drive you could install XP from this.

This is useful for notebook or
CDROM / DVDROM less system.

Requirement

Windows Xp installation disk,
solution.rar file

Working pen drive of at least 2
GB.

We need to transfer all XP installation media files into pen drive. If you don't
have dump of XP CD on hard disk
then you need to copy them from XP CD.

Download this file solution.rar and
extract it.

Attach a pen drive (All data will be
erase from pen drive)

Open the folder where you have
extracted the files from solution.rar and run HpUSBformat.exe.

This command will detect your USB disk, if not, select form the list ( in this example my USB memory stick is drive M: )

Now set these options

Volume label : - SYSTEM

Check marks on :- Create a
DOS Start up disk

Select radio button :- Using
DOS system files located at:

Give the path where you have
extracted solution.rar (Give the
path of DOS folder) files
At this moment pen drive has become DOS bootable.

Copy all other files from DOS folder to your USB disk. ( you can overwrite existing ones)
Insert Windows Xp installation disk into CD-ROM and copy all files from CD to USB drive.

Now pen drive should look like this

Now you have a xp bootable pen
drive.

Now we have XP bootable pen drive.

We would install XP from this pen
drive.

Boot system from this pen drive. If
system does not boot from pen drive check first bootable media setting in BIOS.

Step1:- When system is booted up, and you see command prompt, type sys d: and hit enter if you see system
transferred - you have luck, FAT32 file system is on drive C:, you will not lose your data

- go to step 5

- if any problem appears go to

Step2:- REMEMBER, you will loose all data from drive C:/> - when system is booted up from USB, your drive C:
appears as D:

Step3:- Type format d:/q/s to format drive D:
accept and when it is finished, go to

step 5 ( you are lucky, you don't need to make partitions)
otherwise go to step 4

Step4:- Type fdisk and hit enter
create new partition ( after restart
boot with pendrive in)
go to step 3 and format the partitions and come back here :)
type pqmagic and set your new
partition active
( physical drive 2, Advanced A, set
Active - S, are you sure - Y, Exit - X )

Step5:- Type nc and hit enter, and
using Norton Commander, copy all files form pendrive to disk C: ( you can overwrite existing ones

Step6:- Restart Laptop without pen drive in it (it should start from hard drive)

Step7:- Type cd i386 and hit enter (it will enter i386 folder)

Step8:- Type winnt and hit enter

Step9:- this will launch xp installation process and you can install xp as youdo with cd.

created windows xp bootable cd. Now you can use this window XP bootable cd for installation

In this article we would create a
window XP bootable CD from copied
files. This is very useful when you
have copied files of XP. To keep
backup we generally copy the entire
disk on hard disk. But you could not
create a bootable disk from these
files.

To make a bootable XP disk
from copied files we need to add boot files with image on CD.
The following items are required:

A copy of the original Windows
CD/DVD.

A copy of the Boot Files
Download from here.

A minimum of 1GB available
hard disk space for CD's.

A minimum of 5GB available
hard disk space for DVD's.

Extract the zip file
This zip file contain all required boot files

Create a folder named xpcd on c:\
drive and copy all the files and folder of windows XP cd in it

Now start your CD burning software I have used NERO for it

Select new options from files menu then choose CDROM(BOOT)

In right pane do following settings
Select boot tab

Select Image file from Source of
boot image data

Click on Browse and choose
boot.ima ( where you have
extract image files)
Check Enable expert settings
(for advanced users only!).

Set Kind of emulation: to No
Emulation.

Set Load segment of sectors
(hex!): to 0000.

Set Number of loaded sectors:
to 4.

Click on the ISO tab.

Set File name length to Max. of
31 chars (ISO Level 2).

Set Format to Mode 1.

Set Character Set to ISO 9660
(standard ISO CD-ROM).

Check the Joliet check box.
Check all Relax ISO

Restrictions.
Check Allow more than 64
characters for Joliet names.
Click on the Label tab.

IN ISO 9660 text field Enter
volume lable
IN Joliet text boxes. Enter
system identifier label
Click the Burn tab.

Check Write.
Check Finalize CD (No further
writing possible!).

Set Write Method to Disc-at-
once. (We have had Track-At-
Once work as well.)

Click the New button
Locate the folder C:\xpcd ( OR where you have copied xp cd)

Select everything from the folder and

drag it to the ISO compilation panel.

and Click the burn CD Dialog button

Verify the settings. Correct if needed.

Click the Burn button.
This will launch CD burning wizard

Click the OK button
Congratulations you have successfully

created windows xp bootable cd.
Now you can use this window XP
bootable cd for installation.